कैंसर: डर के आगे जीत है

कैंसर: डर के आगे जीत है

सेहतराग टीम

लिस्‍ट में सबसे पहला नाम है युवराज सिंह का।  युवराज सिंह जो हाल गेंदबाजों का करते हैं, वही हाल उन्होंने कैंसर का किया। युवराज सिंह को कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार होने की खबर से उनके प्रशंसकों और परिवार में चिंता की लहर दौड़ गई थी मगर युवराज ने अपने हौसले और सही इलाज से दिल और फेफड़े के बीच ट्यूमर की वजह बने सेरीनोमा नामक कैंसर को पटखनी दे दी। उन्होंने कैंसर के मरीजों में एक नई उम्मीद जगा दी है कि कैंसर नाम के राक्षस को भी हराना संभव है। उन्होंने कैंसर के अपने अनुभव पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है – द टेस्ट ऑफ माई लाइफ।

 

मनीषा कोइराला

मासूम मुस्कराहट वाली खूबसूरत अभिनेत्री मनीषा कोइराला, जिन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से लाखों सिनेप्रेमियों का दिल जीता, 42 की उम्र में ओवरी के कैंसर का शिकार बन गईं। उन्होंने न्यूयार्क के एक अस्पताल में कैंसर से लड़ाई लड़ी और कीमोथैरेपी के दौरान अपनी तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के दिमाग से कैंसर को लेकर डर और शर्म दूर करने में मदद की। उन्होंने कैंसर पीड़ितों के बीच आशा और जागरूकता फैलाने के लिए भी काम किया। कैंसर से एक बड़ी लड़ाई जीतकर वह फिर से बॉलीवुड में अपना परचम फैलाने के लिए तैयार हैं। उनकी मजबूती और इच्छाशक्ति ने बहुत से लोगों को प्रेरित किया है।

 

लीजा रे

खूबसूरत और बोल्ड अभिनेत्री लीजा रे 2009 में मल्टीपल मायलोमा (प्लाज्मा कोशिकाओं का एक कैंसर) कैंसर की चपेट में आ गईं। हालांकि उपचार के दौरान उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में चुप्पी साधे रखी मगर उससे बाहर आने के बाद उन्होंने इसके बारे में खूब बोला और लिखा। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए सकारात्मक नजरिये की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कैंसर के इस दुर्लभ प्रकार पर शोध के लिए फंड्स जुटाने में भी मदद की।

 

अनुराग बासु

बर्फी के ख्यात निर्देशक अनुराग बासु 2004 में रक्त कैंसर के एक प्रकार प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया से पीड़ित थे। मगर उन्होंने अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखते हुए इसे अपने जीवन पर हावी नहीं होने दिया, जबकि डॉक्टरों के अनुसार उनके बचने की संभावना 50 फीसदी थी और उन्होंने बासु को दो महीने दिए थे। इसी दौरान उन्होंने ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ और ‘गैंगस्टर’ की स्क्रिप्ट भी लिखी और अस्पताल से ही ‘तुम सा नहीं देखा’ के कुछ हिस्सों का निर्देशन भी किया। वह कैंसर से इस तरह जीत कर निकले मानो कुछ हुआ ही न हो।

 

मुमताज

बाल कलाकार के रूप में बॉलीवुड में आने वाली मुमताज ने कई सालों तक हिंदी सिनेमाप्रेमियों के दिल पर राज किया। उन्होंने अभिनय और लोकप्रियता के चरम पर पहुंचने के बाद 26 की उम्र में अभिनय का क्षेत्र छोड़ दिया। बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह स्तन कैंसर का शिकार हो गई थीं। कीमोथैरेपी के कई सत्रों के बाद मुमताज ने 54 की उम्र में कैंसर से लड़ाई जीत ली। उस उम्र में भी उन्होंने इलाज के दौरान बढ़े अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए मेहनत की और फिर से फिट हो गईं। 60 की उम्र पार करने के बाद भी मुमताज अब भी उतनी ही खूबसूरत और फिट दिखती हैं।

 

देविका भोजवानी

देविका भोजवानी वुमंस कैंसर इनिशियेटिव की वाइस प्रेसिडेंट हैं, जिसे उन्होंने टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई की भागीदारी के साथ शुरू किया। उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर पर जीत पाने के बाद यह पहल शुरू की थी। उन्होंने कैंसर से लड़ाई में अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखा और रेकी तथा मंत्रों से उपचार की तकनीक भी अपनाई। उनका इनिशिएटिव ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने और फंड जमा करने में मदद करता है।

 

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